मंगलवार, 18 नवंबर 2014

दुर्गा शाबर मन्त्र



दुर्गा शाबर मन्त्र
ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंह-वाहिनी। बीस-हस्ती भगवती, रत्न-मण्डित सोनन की माल। उत्तर-पथ में आप बैठी, हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि। धन-धान्य देहि देहि, कुरु कुरु स्वाहा।”
विधिः- उक्त मन्त्र का सवा लाख जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकतानुसार श्रद्धा से एक माला जप करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। लक्ष्मी प्राप्त होती है, नौकरी में उन्नति और व्यवसाय में वृद्धि होती है।

दांत दर्द दूर करने का हनुमान मंत्र

दांत दर्द दूर करने का हनुमान मंत्र


ऊँ नमो आदेश। गुरु जी का।।
बन मे ब्याई अंजनी। जिन जायाहनुमन्त।।
कीड़ा मकुड़ा माकड़ा। ये तीनों भस्मन्त।।
गुरु की शक्ति। मेरी भक्ति।।
फुरे मंत्र। ईश्वरो वाचा।।
मंत्र सिद्ध करने की विधि


इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए ग्रहण के समय 11 माला जप करें। जप हनुमानजी से संबंधित सभी नियमों का पालन करते हुए ही करें अन्यथा मंत्र सिद्ध नहीं होगा। मंत्र सिद्ध होने के बाद जब भी किसी को दांत दर्द सताए साधक नीम की डाली लेकर दर्द वाले स्थान पर छुआते हुए मंत्र का जप करें। मंत्र जप के साथ-साथ ही 21 बार पीडि़त को नीम की डाली से झाड़ दें। पीडि़त व्यक्ति का दांत दर्द कुछ ही क्षणों में दूर हो जाएगा। तत्पश्चात पीडि़त से पीला प्रसाद बटवा दें।

सर्व कार्यों में सिद्धि

श्री हनुमान जी के सम्मुख इस मंत्र के ५१ पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रखलें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है ।

“ॐ      वज्र-काय        वज्र-तुण्ड      कपिल-पिंगल ऊर्ध्व-केश महावीर       रक्त-मुख      तडिज्जिह्व   महा-रौद्र    दंष्ट्रोत्कट     कह-कह करालिने महा-दृढ़-प्रहारिन लंकेश्वर-वधाय महा-सेतु-बंध-महा-शैल-प्रवाह-गगने-चर एह्येहिं भगवन्महा-बल-पराक्रम भैरवाज्ञापय एह्येहि महारौद्र दीर्घ-पुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय भंजय हुँ फट् ।।


कामनाओं की-पूर्ति-के लिए

कामनाओं की-पूर्ति-के लिए
 ‘‘चंदा-मोहिनी-मन-में वशे सूरज तपे रस होय, हाँक-मारे हनुमान जोद्धा राजा-परजा हमारी व्है,--गरु की शक्ति गरु की भक्ति, चल भाग भगवान के वहाँ,-मेरा काम-सिद्ध कर, पिण्ड सच्चा चले-मंजर वाचा काम-करके आ।’’  -मंत्र काप्रयोग करते हैं।

मंगलवार, 5 नवंबर 2013

व्यापार

अधिकतर मामलों में व्यापार करते हुये धन की कमी होती है,लगातार प्रतिस्पर्धा के कारण लोग व्यवसाय को काटते है,और ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित करते है, अपनी बिजनिस बढाने के लिये तांत्रिक उपाय करते है, और उन तांत्रिक उपायों को करने के बाद खुद तो उल्टा सीधा कमाते है,लेकिन अपने सामने वाले को भी बरबाद करते है तथा कुछ दिनों में उनके द्वारा किये गये तांत्रिक उपायों का असर खत्म हो जाने पर दिवालिया बन कर घूमने लगते है। अपने व्यवसाय स्थल से नकारात्मक ऊर्जा को हटाने और ग्राहकी बढाने का तरीका आपको बता रहा हूँ, इस तरीके को प्रयोग करने के बाद आप खुद ही महसूस करने लगेंगे ।

सोमवार के दिन किसी नगीने बेचने वाले से तीन गारनेट के नग खरीदकर लाइये, और रात को उन्हे किसी साफ कांच के बर्तन में पानी में डुबोकर खुले स्थान में रख दीजिये,उन नगों को लगातार नौ दिन तक यानी अगले मंगलवार तक उसी स्थान पर रखा रहने दीजिये, और मंगलवार की शाम को उन नगीनों को मय उस पानी के उठा लीजिये,बुधवार को उस पानी से नगीनों को अपने व्यवसाय वाले स्थान पर निकाल लीजिये और पानी को व्यवसाय स्थान के सभी कोनों और अन्धेरी जगह पर कैस काउन्टर और टेबिल ड्रावर के अन्दर छिडक दीजिये, तथा उन नगीनों को (तीनों को) अपनी टेबिल पर सजाकर सामने रख लीजिये, इस प्रकार से आपके व्यापारिक स्थान की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जायेगी, और सकारात्मक ऊर्जा आने लगेगी । नगीनों को सम्भाल कर रखे,जिससे कोई उन्हे ले न जा सके।

मंगल दोष

मंगल चंडिका प्रयोग
प्रथम :- मंत्र और स्त्रोत्र प्रयोग
यह प्रयोग मंगली लोगो को मंगल की वजह से उनके विवाह, काम-धंधे में आ रही रूकावटो को दूर कर देता है
मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके ऐं क्रू फट् स्वाहा
( देवी भगवत के अनुसार अन्य मंत्र :- ॐ ह्रीं श्रीं कलीम सर्व पुज्ये देवी मंगल चण्डिके हूँ हूँ फट् स्वाहा )
दोनों में से कोई भी मन्त्र जप सकते है
ध्यान :-
देवी षोडश वर्षीया शास्वत्सुस्थिर योवनाम| सर्वरूप गुणाढ्यं च कोमलांगी मनोहराम|
स्वेत चम्पक वऱॅणाभाम चन्द्र कोटि सम्प्रभाम| वन्हिशुद्धाशुका धानां रत्न भूषण भूषिताम|
बिभ्रतीं कवरीभारं मल्लिका माल्य भूषितं| बिम्बोष्ठिं सुदतीं शुद्धां शरत पद्म निभाननाम|
ईशदहास्य प्रसन्नास्यां सुनिलोत्पल लोचनाम| जगद धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्य सम्पत्प्रदाम|
संसार सागरेघोरे पोत रूपां वरां भजे|
स्त्रोत्र:-
||शंकर उवाच||
रक्ष रक्ष जगन मातर देवी मंगल चण्डिके | हारिके विपदां राशे: हर्ष मंगल कारिके ||
हर्ष मंगल दक्षे च हर्ष मंगल चण्डिके | शुभ मंगल दक्षे च शुभ मंगल चण्डिके ||
मंगले मंगलार्हे च सर्व मंगल मंगले | सतां मंगलदे देवी सर्वेषां मंग्लालये ||
पूज्या मंगलवारे च मंगलाभीष्ट दैवते | पूज्य मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम ||
मंगलाधिष्ठात्रिदेवी मंगलानां च मंगले | संसार मंगलाधारे मोक्ष मंगलदायिनी ||
सारे च मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम | प्रति मंगलवारे च पूज्य च मंगलप्रदे ||
स्त्रोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मंगल चंडीकाम | प्रति मंगलवारे च पूजां कृत्वा गत: शिव: ||
देव्याश्च मंगल स्त्रोत्रम यं श्रुणोति समाहित: | तन्मंगलं भवेत्श्चान्न भवेत् तद मंगलं ||

विधि विधान :-
मंगलवार को संध्या समय पर स्नान करके पवित्र होकर एक पंचमुखी दीपक जलाकर माँ मंगल चंडिका की पूजा श्रधा भक्ति पूर्वक करे/ माँ को एक नारियल और खीर का भोग लगाये | उपरोक्त दोनों में से किसी एक मंत्र का मन ही मन १०८ बार जप करे तथा स्त्रोत्र का ११ बार उच्च स्वर से श्रद्धा पूर्वक प्रेम सहित पाठ करे | ऐसा आठ मंगलवार को करे | आठवे मंगलवार को किसी भी सुहागिन स्त्री को लाल ब्लाउज, लाल रिब्बन, लाल चूड़ी, कुमकुम, लाल सिंदूर, पान-सुपारी, हल्दी, स्वादिष्ट फल, फूल आदि देकर संतुष्ट करे | अगर कुंवारी कन्या या पुरुष इस प्रयोग को कर रहे है तो वो अंजुली भर कर चने भी सुहागिन स्त्री को दे , ऐसा करने से उनका मंगल दोष शांत हो जायेगा | इस प्रयोग में व्रत रहने की आवश्यकता नहीं है अगर आप शाम को न कर सके तो सुबह कर सकते है |
यह अनुभूत प्रयोग है और आठ सप्ताह में ही चमत्कारिक रूप से शादी-विवाह की समस्या, धन की समस्या, व्यापार की समस्या, गृह-कलेश, विद्या प्राप्ति आदि में चमत्कारिक रूप से लाभ होता है

।। श्रीमद् हनुमन्त बीसा ।।

।। श्रीमद् हनुमन्त बीसा ।।
।।दोहा।।
राम भक्त विनती करूँ,सुन लो मेरी बात ।
दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ ।।
।।चौपाई।।
जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,
कालनेमि को जैसे खींचा ।।१
करुणा पर दो कान हमारो,
शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।२
राम भक्त जय जय हनुमन्ता,
लंका को थे किये विध्वंसा ।।३
सीता खोज खबर तुम लाए,
अजर अमर के आशीष पाए ।।४
लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,
राम के अतिशय पासा हो तुम ।।५
जिस पर होते तुम अनुकूला,
वह रहता पतझड़ में फूला ।।६
राम भक्त तुम मेरी आशा,
तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ।।७
आकर मेरे काज संवारो,
शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।८
तुम्हरी दया से हम चलते हैं,
लोग न जाने क्यों जलते हैं ।।९
भक्त जनों के संकट टारे,
राम द्वार के हो रखवारे ।।१०
मेरे संकट दूर हटा दो,
द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ।।११
रुद्रावतार हो मेरे स्वामी,
तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ।।१२
ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा,
बैरिहु मारु जगत के ईशा ।।१३
तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे,
बैरि व्याधि न नेरे आवे ।।१४
तुम्हरा नाम जगत सुखदाता,
खुल जाता है राम दरवाजा ।।१५
संकट मोचन प्रभु हमारो,
भूत प्रेत पिशाच को मारो ।।१६
अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता,
सर्व जगत बजता है डंका ।।१७
सर्व व्याधि नष्ट जो जावे,
हनुमद् बीसा जो कह पावे ।।१८
संकट एक न रहता उसको,
हं हं हनुमंत कहता नर जो ।।१९
ह्रीं हनुमंते नमः जो कहता,
उससे तो दुख दूर ही रहता ।।२०
।। दोहा।।
मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार ।
हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार ।।
राम लषन सीता सहित, करो मेरा कल्याण ।
ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान ।।
प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई ।
संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई ।।
।।इति श्रीमद् हनुमन्त बीसा श्री यशपाल जी कृत समाप्तम्।।